Tuesday 17 January 2017

Short rhymes

ये क्या है.वो कुछ यूँ ख्यालों मे छाया है, जैसे मेरा ही एक साया है

इत्तेफ़ाक सा लगता है कभी, कभी लगे की किस्मत की हसीन छाया है
वक़्त बेवक़्त ज़हन से गुज़रते है कुछ ख्याल,इन्ही लम्हो ने कुछ रातों से जगाया है
ये जो लम्हे है कुछ बेचैन तो कुछ उलझे-सुलझे से
ये जो बातें है कुछ कही तो कुछ अनकही सी
ये जो होता है सुना था की ये होता है, अब जाना की ये क्या है ओर कैसे होता है
मैं चलूं तो ख्याल रोक सा देते है,मैं जो बोलू तो सोच समझ कर लफ्ज़ चुन लेने का ख़याल आता है
ये जो बदल सा रहा है, ये मैं हूँ या ये वक़्त है 
ये जो संभल सा रहा है मेरे अंदर, ये में हूँ या उसका अक्स है मुझमे 
ये क्या है जो बदल रहा है, ये क्या है जो संभल रहा है 
ये क्या है जो समझाता है , हँसता है, एक ही वक़्त पे ना जाने कितने एहसास दिल मे लाता है

सुकून

सुकून मिलता है कुछ वक़्त तन्हा बिताकर
ना समझाना पड़ता है ना समझना
इन खामोशियों मे अपनी सांसो का संगीत बजता है
और धड़कनो पे अपना अक्स थिरकता है



फ़ुर्सत

सोचा की सोचूँगी फ़ुर्सत से कभी 
दिल बोला यूँ ही फ़ुर्सत मिली है कभी
वक़्त से लम्हे तो चुराने पड़ते है
ज़िंदगी मे मौके तो बनाने पड़ते है
ठहरना पड़ता है कहीं तो कहीं सरपट सा दौड़ना
गीरो, उठो, चलो पर आगे बढ़ना नही छोड़ना


क्या ज़रूरी है

बढ़ना भी ज़रूरी है तो, ठहरना भी तो 
अगर कह देना ज़रूरी है तो, खामोश रहना भी तो
ग़लतियों को नज़रअंदाज़ करना ज़रूरी है तो, उन्हे ना दोहराने के लिए सबक देना भी तो
शांत रहना ज़रूरी है तो, वक़्त की नज़ाकत देख कठोर होना भी तो
तो कैसे कह दोगे बिना पूरा सच जाने, की क्या सही है क्या ग़लत


सफ़र

कौन है यहाँ बस मैं हूँ और ये वादियाँ है
असीम सी दिखती खूबसूरती,बेहद से दिखते रास्ते है
ये जो रास्ते हैं कहीं तक तो जाते होंगे
कहीं पहुँच कर कहीं तो ख़त्म हो जाते होंगे
आज ये मेरे सफ़र का हिस्सा है, कल मेरे लिए एक मज़ेदार किस्सा होंगे
ये जो सफ़र सुकून सा देता है, तन्हाई जो शांति सी देती है
ये अकेलेपन से मुझे इतना प्यार क्यूँ है
कभी सोचती हूँ भीड़ से घबराहट, तन्हाई से इतना प्यार क्यूँ है 


बदलते लोग

करीब रह कर लोगों के बस इतना समझ पाए
वक़्त के साथ बदलते हैं इंसान भी जज़्बात भी
कोई वक़्त काटने के लिए हमसफ़र चुनता है 
तो कोई उसे ही ज़िंदगी समझ लेता है
इन गलतफहमियों के दौर मे जब बिखरे किसी के सपने तो
बात बस यही निकली….
अकेले होना बेहतर है इन हर पल बदलते इंसानो से, ख़ुदग़र्ज़ से पैमानो से

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