Saturday 21 January 2017

अच्छा लगता है


माँ ने कहा बच्चों से
अच्छा लगता है तुम घर आते हो
कुछ वक़्त मेरे साथ बिताते हो
मेरी सुनते हो अपनी सुनाते हो
मेरी जवानी अपना बचपन याद दिलाते हो

पिता ने कहा बच्चों से
अच्छा लगता है तुम आते हो
तुम्हारी माँ की आँखों मे खुशी देते हो
मुझे फिर से बाज़ार जाके तुम्हारे लिए कुछ लाने का मौका देते हो
इस घर को फिर रोनकों से भर देते हो

दादी ने कहा पोती से
अच्छा लगता है तुम आती हो
कुछ वक़्त मेरे साथ बिताती हो
मेरी एक ही बात बिन शिकायत कितनी बार सुन लेती हो
तुम बार बार आया करो

भाई ने कहा बेहन से
अच्छा लगता है तुम आती हो
हमारा बचपन,वो नोक-झोंक फिर से याद दिलाती हो
इस घर को फिर एक बार पूरा कर जाती हो

वो आंटी हर बार कहती थी
अच्छा लगता है तुम आती हो
कम बोलती हो पर मेरी सुनकर मुस्कुराती रहती हो
तुम नही आती हो तो कह नही पाती हूँ अपने दिल की
तुम आया करो

उसको साथ बिठाकर बस एक बार खाना खिलाया था
अच्छा लगता है जब हर बार मुझे देख कर एक लंबी मुस्कान देता है
कहता है अच्छा लगता है आप जब भी दिखती हो

अच्छा लगता है उसकी सुनना जिसकी सुनने वाला कोई ना हो
दो प्यार भरे बोल के बदले जो स्नेह मिलता है
उसकी तुलना किसी से ना हो

भागदौड़ भरी ज़िंदगी से कुछ पल चुरा कर
थोडा ठहर कर ज़िंदगी का लुतफ लेना
अपने-परायों से स्नेह से मिलना
उनको अपने वक़्त का साझीदार बनाना
अच्छा लगता है

बस अच्छा लगता है

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